ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | |
7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 |
14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 |
21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 |
28 | 29 | 30 |
«فرزندم!
رؤیای روشنت را
دیگر برای هیچ کس بازگو مکن!
-حتی برادران عزیزت-
می ترسم
شاید دوباره دست بیندازند
خواب تو را
در چاه
شاید دوباره گرگ...
می دانم
تو یازده ستاره و خورشید و ماه
در خواب دیده ای
حالاباش!
تا خواب یک ستاره دیگر
تعبیر خواب های تو را
روشن کند
ای کاش...!»