ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | 2 | |||||
3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 |
17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 |
24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 |
31 |
گر قسمتم شود که تماشا کنم تو را
ای نور دیده ! جان و دل اهدا کنم تو را
این دیده نیست قابل دیدار روی تو
چشمی دگر بده که تماشا کنم تو را
تو در میان جمعی و من در تفکرم
کاندر کجا برآیم و پیدا کنم تو را ؟
یابن الحسن ! اگر چه نهانی ز چشم من
در عالم خیال هویدا کنم تو را
{رضا موید}